कुछ ऐसे ख़्वाब जो कभी हक़ीक़त नहीं बन पाते उन चंद कभी न पूरी होने वाली ख़्वाहिशों का ज़िक्र करती ये मेरी लिखी ग़ज़ल "तक़दीर "। हो सकें तो सुनकर प्रतिक्रिया दें 🙏🏻🙏🏻
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