यह प्रकरण हमें ध्यान के विभिन्न प्रकार और विधियों से आगे, उसमें संलग्न प्रमुख सिद्धांतो के बारे में बताता है।
ओम् स्वामी हमें यहाँ बताते है, की कैसे एक ध्यान का साधक, इन सिद्धांतो को अपने जीवन में अपनाकर, द्रुत गति से अपने आस्तित्व की पराकाष्ठा तक पहुँच सकता है।
इस कड़ी में विशेषकर: करुणा, वैराग्य, उनकी महत्वता और संवर्धन के बारे में बताया गया है।