• हमारे ज़िन्दगी के पन्ने

  • Oct 28 2024
  • Durée: 3 min
  • Podcast

हमारे ज़िन्दगी के पन्ने

  • Résumé

  • हम अपने आप से कई तरह से बातें करते हैं। कभी अपने को सराहते हैं, तो कभी ताना देते हैं। हम तरह-तरह के सोच की दीवार खड़ी करते हैं –अपने होने और अपने को नकारने के बीच। ज़्यादातर अपने को सराहने की प्रवृत्ति, दीवार के उस पार, अपने से परे कर देते हैं और अपने को नकारने की प्रवृत्ति को हम क़रीब, दीवार के अंदर ले लेते हैं। सोच की ईंट गलती चली जाती है। हमारी सोच अपने लिए कैसी है, ये मायने रखती है।...
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