जय श्री कृष्णा! 🙏
आप सभी का स्वागत है हमारे श्रीमद्भगवद गीता के 13वें अध्याय – "क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ योग" में। इस अध्याय में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को आत्मा (क्षेत्रज्ञ) और शरीर (क्षेत्र) के रहस्यों का ज्ञान कराते हैं। भगवान ने आत्मा के शाश्वत स्वरूप, शरीर की नश्वरता और ज्ञान के महत्व को विस्तार से बताया है।
इस वीडियो में हम 34 श्लोकों का पाठ और उनका सरल अर्थ समझने का प्रयास करेंगे।
🌼 अध्याय के मुख्य बिंदु:
- क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ का अर्थ
- आत्मा और शरीर का संबंध
- सच्चे ज्ञान का स्वरूप
- आत्मा की अमरता और परमात्मा का ज्ञान
चलिए हम सब मिलकर इस दिव्य ज्ञान को आत्मसात करें और श्री कृष्ण की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारें।
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