Épisodes

  • Episode 8 - उम्र कितनी बची है
    May 21 2020
    आदमी और वक़्त की फ़ितरत यही है, एक समय के बाद दोनों गुज़र जाते हैं, और अगर मालूम है ये बात हम सभी को तो, कैसे कह दें? वक़्त है, और तेरी ज़रुरत नहीं है।
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  • Episode 7 - एक लम्हां लगता है
    May 10 2020
    प्यार ही ऐसा ज़ख़्म है, .. आदमी अकेला ख़ुद होता है, और एक ज़माना तन्हां लगता है।
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  • Episode 6 - एक उतारी गयी कमीज़
    May 4 2020
    "हर इंसान आपकी ज़िन्दगी से एक वक़्त के बाद चला जाता है, फिर चाहे वो मर के हो, ... या डर के, या फिर जी भर के..."
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    10 min
  • Episode 5 - कभी-कभी सोचता हूँ
    Apr 26 2020
    कभी-कभी सोचता हूँ, कि उन दो बाहों के सिवा, जिनमे एक ख़्वाब, एक उम्मीद, थोड़ा सा जिस्म, थोड़ी सी नींद, एक भरोसा, और एक दिल समा जाए उससे ज़्यादा क़ीमती और नायाब क्या हो सकता है।
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  • Episode 4 - कौन तय करेगा
    Apr 19 2020
    ये एक ऐसे विरह का क़िस्सा है, जिसके एक हाथ पर प्यार लिखा था, और दुसरे पर समय। प्यार समय-समय पर बस समय मांगता रह गया, और यूँहीं समय गुज़र गया...
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    12 min
  • Episode 3 - जूंठे बर्तन
    Apr 12 2020
    हमें आज पहले से कहीं ज़्यादा संवेदनशील होने की ज़रुरत है।
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    8 min
  • Episode 2 - आज शाम को देखा मैंने
    Apr 5 2020
    पिछले कुछ दिनों में जितना वक़्त मुझे ख़ुद के साथ मिला है, कई चीज़ों को बारीक़ी से देख पा रहा हूँ, ये एक ख़याल मेरी उस मनोदशा का चित्रण है।
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    7 min
  • Episode 1 - कुछ नहीं हुआ तुम्हें
    Mar 29 2020
    कुछ नहीं हुआ तुम्हें, ये दर्द है, जो सिर्फ़ सोचते हो तो है, ये ज़िन्दगी भी इसी तरह, सिर्फ़ सोचते हो तो है, ये सिर्फ़ मौत है, जो कोई सोचता नहीं, फिर भी है।
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    12 min