चाणक्य की क्रियाशीलता (activism) का मतलब उनके समय में उनके विभिन्न कौशलों का प्रयोग करके समाज में सुधार करना था। वे भारतीय राजनीति और योजनाओं के विशेषज्ञ थे और उन्होंने अपने विचारों को अम्बितिया राजा के साथ साक्षात्कार के माध्यम से अपनाया। उन्होंने नीति शास्त्र, आर्थशास्त्र, योजना निर्माण, व्यापार आदि के क्षेत्र में अपने विचार प्रस्तुत किए और राजा को देश की सुरक्षा, विकास और समृद्धि के लिए उनकी मार्गदर्शन की।