कान्हा कान्हा मनवा पुकारे तोरा नाम
मोहे दर्शन दीजे खोल किवाड़
माखन गगरी भर भर राखी
याद करें तोहे गोपियां सारी
नैन बिछाए सुध बुध हारी
मन को नहीं आराम
कान्हा...
मीरा कहो या राधा प्यारी
विरहन राह तके निहारी
अब तो कान्हा सुध लो हमारी
आओ प्रेम के धाम
कान्हा..
फिर मुरली की तान सुहानी
झूमे सुन गोकुल वासी
बरसे बदरा रिमझिम पानी
अरज सुनो मेरे श्याम
कान्हा...
पाप की गठरी सर पर भारी
अनक जतन कर कर मैं वारी
राग द्वेष की गठरी भरी
कर दो अब उद्धार
कान्हा...
हरप्रीत कौ