इस प्रकरण में आप ध्यान की पृष्ठभूमि के बारे में जानेंगे; कि यह एक ऐसा पथ है जहाँ आप स्वयं से परिचित होते हैं। ओम् स्वामी हमें बताते है कि ध्यान में होना, ध्यान करने से कैसे भिन्न है। इसको सुनने के बाद श्रोता को समझ आ जाता है की ध्यान की इस विशेष यात्रा का फल अत्यंत ही मीठा है।
इस कड़ी में मुख्यतया, ध्यान के यथोचित आसान और मुद्रा के बारे में बताया गया है।