17 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में संशोधन के लिए बिल पेश किया गया. इस बिल की बातों को लेकर पर्यावरणविदों की चिंता है कि ये जंगली जानवरों के अवैध व्यापार को बढ़ावा देगा और इसके प्रावधान उनकी मौत का कारण बनेंगे. तो इस एक्ट के इन्हीं संशोधनों पर Earth शास्त्र के इस एपिसोड में अमन गुप्ता बात कर रहे हैं वाइल्डलाइफ़ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 बनाए जाते वक्त कृषि मंत्रालय में अवर सचिव रहे डॉ. एम.के. रंजीतसिंह और पूर्व आइएफएस अधिकारी और मध्य प्रदेश के पूर्व चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन एच.एस. पाब्ला के साथ.