यह श्लोक श्री भगवद गीता के 17.16 का अंश है। इसमें भगवान श्री कृष्ण मानसिक तप के लक्षणों का वर्णन करते हुए कहते हैं:
"मन की प्रसन्नता, सौम्यता, मौन, आत्मसंयम और भावनाओं की शुद्धि—ये सभी मानसिक तप के लक्षण होते हैं।"
भगवान श्री कृष्ण यहाँ यह बता रहे हैं कि मानसिक तप केवल बाहरी आचार-व्यवहार से नहीं, बल्कि आंतरिक शांति, संयम, और सकारात्मक मानसिकता से होता है। यह तप व्यक्ति को आंतरिक संतुलन और मानसिक शुद्धता प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति आत्मिक उन्नति की ओर बढ़ता है।
Here are some hashtags you can use for this shloka:
#BhagavadGita #Krishna #MentalTapa #InnerPeace #SelfDiscipline #EmotionalPurity #SelfRealization #GitaShloka #DivineWisdom #SpiritualAwakening #Mindfulness #MentalClarity #SelfAwareness #HolisticLiving #SpiritualGrowth