• भारत के शास्त्रीय नृत्य - भाग- 5 (कुचिपुड़ी) | Classical Dance forms of India – Part 5 (Kuchipudi)

  • Mar 17 2023
  • Durée: 5 min
  • Podcast

भारत के शास्त्रीय नृत्य - भाग- 5 (कुचिपुड़ी) | Classical Dance forms of India – Part 5 (Kuchipudi)

  • Résumé

  • कुचिपुड़ी: नमस्कार, चलिए आज आंध्रप्रदेश चलते हैं और जानते हैं वहाँ जन्में शास्त्रीय नृत्य कुचिपुड़ी को। आप सोच रहे होंगे, कत्थक, कथकली, भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम, और कुचिपुड़ी? इसमें तो नृत्य से जुड़ा कुछ भी नहीं। तो आप बिलकुल सही सोच रहे हैं। कुचिपुड़ी आंध्रप्रदेश में कृष्णा डिस्ट्रिक्ट का एक छोटा सा गाँव है जहाँ से कुचिपुड़ी नृत्य की शुरुआत हुई थी। कुचिपुड़ी, कुचेलापुरम या कुचिलापुरी का संक्षिप्त रूप है। दिलचस्प बात तो ये है कि ये दोनों शब्द संस्कृत शब्द कुसिलावा पुरम का तद्भव रूप हैं, जिसका अर्थ है 'अभिनेताओं का गाँव'। जैसा की हम पहले जान चुके हैं, भारत के सभी शास्त्रीय नृत्यों की जड़ें भरतमुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र से जुड़ी हैं जिसमें कुचिपुड़ी का उल्लेख भी किया गया है। यह भारत के सभी प्रमुख शास्त्रीय नृत्यों की तरह मंदिरों और आध्यात्मिक विश्वासों से जुड़ी नृत्य कला के रूप में विकसित हुआ। मध्यकालीन युग के नृत्य-नाट्य प्रदर्शन के कलाकार ब्राह्मण थे। भारतीय संस्कृति में प्राचीन समय से ही नृत्य और संगीत को भगवान से जुड़ने का एक माध्यम माना जाता रहा है। कुचिपुड़ी के अस्तित्व के साक्ष्य 10वीं शताब्दी के तांबे के शिलालेखों में पाए जाते हैं, और 15वीं शताब्दी तक माचुपल्ली कैफत जैसे ग्रंथों में पाए जाते हैं। ऐसा माना जाता ​​है कि तीर्थ नारायण यति, जो कि अद्वैत वेदांत को मानते वाले एक संन्यासी थे, और उनके शिष्य, सिद्धेंद्र योगी ने 17वीं शताब्दी में कुचिपुड़ी के आधुनिक रूप की स्थापना की और उसे व्यवस्थित किया। कुचिपुड़ी कृष्ण को समर्पित एक वैष्णववाद परंपरा के रूप में विकसित हुआ और इसे तंजावुर में भागवत मेला के नाम से जाना जाता है। पुराने समय में बस पुरुष नर्तकों द्वारा ही कुचिपुड़ी का प्रदर्शन किया जाता था। पुरुष की भूमिका में एक नर्तक अग्निवस्त्र या धोती पहनते हैं जिसे बागलबंदी के नाम से भी जाना जाता है। महिला की भूमिका में नर्तक साड़ी पहना करते थे और हल्का मेकअप भी लगते थे। वर्त्तमान समय में ये नृत्य स्त्री और पुरुष दोनों ही करते हैं। कुचिपुड़ी के कलाकारों को राजसी सहयोग व प्रोत्साहन भी मिलता था। १५ वीं और सोलहवीं शताब्दी में इस कला का खूब विकास हुआ पर विजयनगर साम्राज्य के पतन के साथ ही मुगलों के अधीन ...
    Voir plus Voir moins

Ce que les auditeurs disent de भारत के शास्त्रीय नृत्य - भाग- 5 (कुचिपुड़ी) | Classical Dance forms of India – Part 5 (Kuchipudi)

Moyenne des évaluations de clients

Évaluations – Cliquez sur les onglets pour changer la source des évaluations.