Épisodes

  • मन का कहा
    Sep 24 2023

    हर मोड़ पर चलिए सँभल कर, ज़िंदगी हर पल नयी है डगर ,यही है ग़ज़ल क्या करें क्या नहीं 😊


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  • जन्माष्टमी स्पेशल : कृष्ण भजन
    Sep 10 2023

    कान्हा कान्हा मनवा पुकारे तोरा नाम

    मोहे दर्शन दीजे खोल किवाड़


    माखन गगरी भर भर राखी

    याद करें तोहे गोपियां सारी

    नैन बिछाए सुध बुध हारी

    मन को नहीं आराम

    कान्हा...


    मीरा कहो या राधा प्यारी

    विरहन राह तके निहारी

    अब तो कान्हा सुध लो हमारी

    आओ प्रेम के धाम

    कान्हा..


    फिर मुरली की तान सुहानी

    झूमे सुन गोकुल वासी

    बरसे बदरा रिमझिम पानी

    अरज सुनो मेरे श्याम

    कान्हा...


    पाप की गठरी सर पर भारी

    अनक जतन कर कर मैं वारी

    राग द्वेष की गठरी भरी

    कर दो अब उद्धार

    कान्हा...

    हरप्रीत कौ

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    4 min
  • इश्क़
    Aug 26 2023

    आज की ग़ज़ल "इश्क़" ज़िंदगी में इश्क़ के मायने बताती हुई ❤❤


    ज़िंदगी इश्क़ में थमी सी है

    मौत भी लगती ज़िंदगी सी है।


    तेरे ख़्यालों की है महक ऐसी

    छा रही अब तो बे- ख़ुदी सी है।


    तुमने तो दूर रहने की ठानी

    पास आने की दिल्लगी सी है।


    तुम मोहब्बत का ज़िक्र ना करना

    ये कहानी तो काग़ज़ी सी है।


    माफ़ कर देती हूँ ख़ता तेरी

    हमको ऐसी ये आश़िकी सी है।


    ख़्वाब में रोज़ देते हो दस्तक

    ज़िंदगी में तेरी कमी सी है


    प्रीत को अब न और तड़पाना

    उल्फ़त लगती बंदगी सी है।

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  • टूट जाता है 
    Aug 20 2023

    अपनों से मिले जब धोखा तो इंसान टूट जाता है आज की ग़ज़ल कुछ इसी ख़्याल को बयां करती हुई 😊"टूट जाता है "


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  • देश के वीर
    Aug 12 2023

    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं के साथ ये ग़ज़ल देश के वीरों के‌ नाम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻


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  • सीखना होगा
    Aug 6 2023

    ज़िंदगी में लड़खड़ाते कदमों को सँभलने के लिए ज़रूरी है अपनी नादानियों से सीखना। सुनिए मेरी नयी ग़ज़ल "सीखना होगा" सुन कर हो सकें तो अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दें🙏🏻🙏🏻

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  • तक़दीर
    Jul 29 2023

    कुछ ऐसे ख़्वाब जो कभी हक़ीक़त नहीं बन पाते उन चंद कभी न पूरी होने वाली ख़्वाहिशों का ज़िक्र करती ये मेरी लिखी ग़ज़ल "तक़दीर "। हो सकें तो सुनकर प्रतिक्रिया दें 🙏🏻🙏🏻

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  • नियति
    Jul 22 2023
    नियति "एक ऐसी कहानी जो कहती है जीवन में कुछ भी ऐसा घटित हो जो ठीक न लगे तो किसी को सही या ग़लत ठहराये बिना कुछ बातें नियति पर छोड़ देना चाहिए । हम कहाँ इंसाफ करने वाले उसके लिए ईश्वर है ना"। सुनिए, मेरी स्वलिखित कहानी नियति, अपनी प्रतिक्रिया दीजिए, और लिंक आगे शेयर कीजिए 👍🙏.
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