Page de couverture de Pranav Rathore

Pranav Rathore

Auteur(s): pranav singh
  • Résumé

  • हिंदी #हिंदी #hindi hindi कविता साहित्य , निबंध , शायरी , उपन्यास , महाकाव्य Pranav rathore
    Copyright 2023 pranav singh
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Épisodes
  • कारवां गुजर गया
    May 11 2023
    स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से
    लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से
    और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे।
    कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।

    नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई
    पाँव जब तलक उठे कि ज़िन्दगी फिसल गई
    पात-पात झर गए कि शाख़-शाख़ जल गई
    चाह तो निकल सकी न पर उमर निकल गई

    गीत अश्क बन गए छंद हो दफन गए
    साथ के सभी दिऐ धुआँ पहन पहन गए
    और हम झुके-झुके मोड़ पर रुके-रुके
    उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे।
    कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।
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    3 min
  • जीवन नही मारा करता है
    May 10 2023
    छिप-छिप अश्रु बहाने वालों !
    मोती व्यर्थ बहाने वालों !
    कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।

    सपना क्या है? नयन सेज पर
    सोया हुआ आँख का पानी,
    और टूटना है उसका ज्यों
    जागे कच्ची नींद जवानी
    गीली उमर बनाने वालों।
    डूबे बिना नहाने वालों !
    कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।

    माला बिखर गयी तो क्या है
    ख़ुद ही हल हो गई समस्या,
    आँसू गर नीलाम हुए तो
    समझो पूरी हुई तपस्या,
    रूठे दिवस मनाने वालों !
    फटी कमीज़
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    3 min
  • \"सत्य ही तो, जा चुके सब लोग हैं दूर ईष्या-द्वेष, हाहाकार से ! मर गये जो, वे नहीं सुनते इसे ...
    May 10 2023
    \"सत्य ही तो, जा चुके सब लोग हैं दूर ईष्या-द्वेष, हाहाकार से ! मर गये जो, वे नहीं सुनते इसे; हर्ष क स्वर जीवितों का व्यंग्य है। \" स्वप्न-सा देखा, सुयोधन कह रहा- \"ओ युधिष्ठिर, सिन्धु के हम पार हैं; तुम चिढाने के लिए जो कुछ कहो, किन्तु, कोई बात हम सुनते नहीं \"हम वहाँ पर हैं, महाभारत जहाँ दीखता है स्वप्न अन्तःशून्य-सा, जो घटित-सा तो कभी लगता, मगर, अर्थ जिसका अब न कोई याद है \"आ गये हम पार, तुम उस पार हो; यह पराजय या कि जय किसकी हुई ? व्यंग्य, पश्चाताप, अन्तर्दाह का अब विजय-उपहार भोगो चैन से हर्ष का स्वर घूमता निस्सार-सा लड़खड़ाता मर रहा कुरुक्षेत्र में, औ\' युधिष्ठिर सुन रहे अव्यक्त-सा एक रव मन का कि व्यापक शून्य का
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    2 min

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